सोमवार, 23 अक्टूबर 2017

जीवन की शुरूआत

एक नयी शुरुआत –


दोस्तों जीवन (Life) में हमारे पास अपने लिए मात्र 3500 दिन (9 वर्ष व 6 महीने) ही होते है !
वर्ल्ड बैंक ने एक इन्सान की औसत आयु 78 वर्ष मानकर यह आकलन किया है जिसके अनुसार हमारे पास अपने लिए मात्र 9 वर्ष व 6 महीने ही होते है| इस आकलन के अनुसार औसतन 29 वर्ष सोने में, 3-4 वर्ष शिक्षा में, 10-12 वर्ष रोजगार में, 9-10 वर्ष मनोरंजन में, 15-18 वर्ष­ अन्य रोजमरा के कामों में जैसे खाना पीना, यात्रा, नित्य कर्म, घर के काम इत्यादि में खर्च हो जाते है| इस तरह हमारे पास अपने सपनों (Dreams) को पूरा करने व कुछ कर दिखाने के लिए मात्र 3500 दिन अथवा 84,000 घंटे ही होते है|
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“संसार की सबसे मूल्यवान वस्तु समय ही है”
लेकिन वर्तमान में ज्यादातर लोग निराशामय जिंदगी (Life) जी रहे है और वे इंतजार कर रहे होते है कि उनके जीवन में कोई चमत्कार होगा, जो उनकी निराशामय जिंदगी को बदल देगा| दोस्तों वह चमत्कार आज व अभी से शुरू होगा और उस चमत्कार को करने वाले व्यक्ति आप ही है, क्योंकि उस चमत्कार को आप के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति नहीं कर सकता|
इस शुरुआत के लिए हमें अपनी सोच व मान्यताओ (beliefs) को बदलना होगा, क्योंकि
“हमारे साथ वही होता है जो हम मानते है|”
Friends, वैज्ञानिकों के अनुसार भौंरे (Bumblebee) का शरीर बहुत भारी होता है, इसलिए विज्ञान के नियमो के अनुसार वह उड़ नहीं सकता| लेकिन भौंरे को इस बात का पता नहीं होता एंव वह यह मानता है की वह उड़ सकता है इसलिए वह उड़ पाता है|
सबसे पहले हमें इस गलत धारणा (Wrong Belief) को बदलना होगा कि हमारे साथ वही होता है जो भाग्य  में लिखा होता है| क्योंकि ऐसा होता तो आज हम ईश्वर (God) की पूजा न कर रहे होते बल्कि उन्हें बदुआएं दे रहे होते|
दोस्तों हमारे साथ जो कुछ भी होता है उसके जिम्मेदार हम स्वंय होते है (We are responsible for What we are) इसलिए खुश रहना या ना रहना हम पर ही निर्भर (depend) करता है|
“भगवान उसी की मदद करते है जो अपनी मदद खुद करता है”
“God helps those who help themselves”
अगर कोई व्यक्ति यह सोचता है की हमारे साथ जो कुछ भी होता है, वह हमारे हाथ में नहीं है तो वह व्यक्ति या तो इस गलत धारणा (Wrong Belief) को बदल दे या आगे इस लेख को न पढे|

                        जीवन के नियम :- Rules of life

दोस्तों हम एक नयी शुरुआत करने जा रहे है और इसके लिए हमें कुछ नियमो का पालन करना होगा| ये नियम आपकी जिंदगी बदल देंगे ( Rules That can Change Your Life in Hindi) :-
1. आत्मविश्वास (Self Confidence) :-
आत्मविश्वास से आशय “स्वंय पर विश्वास एंव नियंत्रण” (Believe in Yourself) से है | दोस्तों हमारे जीवन में आत्मविश्वास (Self Confidence) का होना उतना ही आवश्यक है जितना किसी फूल (Flower) में खुशबू (सुगंध) का होना, आत्मविश्वास (Self Confidence) के बगैर हमारी जिंदगी एक जिन्दा लाश के समान हो जाती है| कोई भी व्यक्ति कितना भी प्रतिभाशाली क्यों न हो वह आत्मविश्वास के बिना कुछ नहीं कर सकता| आत्मविश्वास ही सफलता (Success) की नींव है, आत्मविश्वास की कमी के कारण व्यक्ति अपने द्वारा किये गए कार्य पर संदेह करता है| आत्मविश्वास (Self Confidence) उसी व्यक्ति के पास होता है जो स्वंय से संतुष्ट होता है एंव जिसके पास दृड़ निश्चय, मेहनत (Hardwork) व लगन (Focused), साहस (Fearless ) , वचनबद्धता (Commitment) आदि संस्कारों की सम्पति होती है|
आत्मविश्वास कैसे बढाएं:-
  1. स्वंय पर विश्वास रखें (Believe in Yourself), लक्ष्य बनायें (make smart goals) एंव उन्हें पूरा करने के लिए वचनबद्ध रहें| जब आप अपने द्वारा बनाये गए लक्ष्य  को पूरा करते है तो यह आपके आत्मविश्वास को कई गुना बढ़ा देता है|
  2. खुश रहें (Be Happy), खुद को प्रेरित करें (Motivate Yourself), असफलता (Failure) से दुखी न होकर उससे सीख लें क्योंकि “experience हमेशा bad experience से ही आता है”
  3. सकारात्मक सोचें (Think Positive) , विनम्र रहें एंव दिन की शुरुआत किसी अच्छे कार्य से करें
  4. इस दुनिया में नामुनकिन कुछ भी नहीं है – Nothing is Impossible in this world| आत्मविश्वास का सबसे बड़ा दुशमन किसी भी कार्य को करने में असफलता होने का “डर”  है एंव डर को हटाना है तो वह कार्य अवश्य करें जिसमें आपको डर लगता है|                    Darr ke aage jeet hai
  5. सच बोलें, ईमानदार रहें, धूम्रपान न करें, प्रकृति से जुड़े, अच्छे (Good) कार्य करें , जरुरतमंद की मदद करें | क्योंकि ऐसे कार्य आपको सकारात्मक शक्ति (positive power) देते हैं वही दूसरी ओर गलत कार्य एंव बुरी आदतें (Bad Habits) हमारे आत्मविश्वास को गिरा देते हैं|
  6. वह कार्य करें जिसमें आपकी रुचि हो एंव कोशिश करें कि अपने करियर को उसी दिशा में आगे ले जिसमें आपकी रुचि हो|
  7. वर्तमान में जियें (Live in Present) , सकारात्मक सोचें (Think Positive), अच्छे मित्र बनायें, बच्चों से दोस्तीं करें, आत्मचिंतन करें|
2. स्वतंत्रता (Independence):-
स्वतंत्रता का अर्थ स्वतन्त्र सोच एंव आत्मनिर्भरता से हैं|
“हमारी खुशियों का सबसे बड़ा दुश्मन निर्भरता  ही है एंव वर्तमान में खुशियाँ कम होने का कारण निर्भरता का बढ़ना ही है”
“सबसे बड़ा यही रोग क्या कहेंगे लोग 
:- ज्यादातर लोग कोई भी कार्य करने से पहले कई बार यह सोचते है की वह कार्य करने से लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे या क्या कहेंगे और इसलिए वे कोई निर्णय ले ही नहीं पाते एंव सोचते ही रह जाते है एंव समय उनके हाथ से पानी की तरह निकल जाता है| ऐसे लोग बाद में पछताते हैं| इसलिए दोस्तों ज्यादा मत सोचिये जो आपको सही लगे वह कीजिये क्योंकि शायद ही कोई ऐसा कार्य होगा जो सभी लोगों को एक साथ पसंद आये|
अपनी ख़ुशी को खुद नियंत्रण  कीजिये:- वर्तमान में ज्यादातर लोगों की खुशियाँ  परिस्थितियों पर निर्भर हैं| ऐसे लोग अनुकूल परिस्थिति में खुश (Happy) एंव प्रतिकूल परिस्थियों में दुखी  हो जाते है| उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति का कोई काम बन जाता है तो वह खुश (Happy) एंव काम न बनने पर वह दुखी हो जाता है| दोस्तों हर परिस्थिति में खुश रहें क्योंकि प्रयास करना हमारे हाथ में है लेकिन परिणाम अथवा परिस्थिति हमारे हाथ में नहीं है| परिस्थिति अनुकूल या प्रतिकूल कैसी भी हो सकती है लेकिन उसका response अच्छा ही होना चाहिए क्योंकि response करना हमारे हाथ में है|
आत्मनिर्भर बनें:- दोस्तों निर्भरता ही खुशियों की दुशमन है इसलिए जहाँ तक हो सके दूसरों से अपेक्षाओं कम करें, अपना कार्य स्वंय करें एंव स्वालंबन अपनाएं दूसरों के कर्मों या विचारों से दुखी नहीं होना चाहिए क्योंकि दूसरों के विचार या हमारे नियंत्रण में नहीं है|
“अगर आप उस बातों या परिस्थियों की वजह से दुखी हो जाते है जो आपके नियंत्रण में नहीं है तो इसका परिणाम समय की बर्बादी व भविष्य पछतावा है”
3 वर्तमान में जिएं (Live in Present):-
दोस्तों हमें दिन में 70,000 से 90000 विचार (thoughts) आते है और हमारी सफलता एंव असफलता इसी विचारों की quality (गुणवता) पर निर्भर करती हैं| वैज्ञानिकों के अनुसार ज्यादातर लोगों का 70% से 90% तक समय भूतकाल, भविष्यकाल एंव व्यर्थ की बातें सोचने में चला जाता है| भूतकाल हमें अनुभव देता है एंव भविष्यकाल के लिए हमें planning (योजना) करनी होती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं की हम अपना सारा समय इसी में खर्च कर दें| दोस्तों हमें वर्तमान में ही रहना चाहिए और इसे best बनाना चाहिए क्योंकि न तो भूतकाल एंव न ही भविष्यकाल पर हमारा नियंत्रण है|
“अगर खुश रहना है एंव सफल होना है तो उस बारे में सोचना बंद कर दें जिस पर हमारा नियंत्रण न हो”
4. मेहनत एंव लगन (Hard work and Focus ):-
दोस्तों किसी विद्वान् ने कहा है की कामयाबी, मेहनत से पहले केवल शब्दकोष में ही मिल सकती है| मेहनत  का अर्थ केवल शारीरिक काम से नहीं है, मेहनत शारीरिक व मानसिक दोनों प्रकार से हो सकती है| अनुभव यह कहता है की मानसिक मेहनत, शारीरिक मेहनत से ज्यादा मूल्यवान होती है|
कुछ लोग लक्ष्य 
 तो बहुत बड़ा बना देते है लेकिन मेहनत नहीं करते और फिर अपने अपने लक्ष्य को बदलते रहते है| ऐसे लोग केवल योजना(planning) बनाते रह जाते है|
मेहनत व लगन से बड़े से बड़ा मुश्किल कार्य आसान हो जाता है| अगर लक्ष्य को प्राप्त करना है तो बीच में आने वाली बाधाओं को पार करना होगा, मेहनत करनी होगी, बार बार दृढ़ निश्चय से कोशिश करनी होगी|
“असफल लोगों के पास बचने का एकमात्र साधन यह होता है कि वे मुसीबत आने पर अपने लक्ष्य को बदल देते है|”
कुछ लोग ऐसे होते है जो मेहनत तो करते है लेकिन एक बार विफल होने पर निराश होकर कार्य को बीच में ही छोड़ देते है इसलिए मेहनत के साथ साथ लगन व दृढ़ निश्चय (Commitment) का होना भी अति आवश्यक है|
“अगर कोई व्यक्ति बार बार उस कार्य को करने पर भी सफल नहीं हो पा रहा तो इसका मतलब उसका कार्य करने का तरीका गलत है एंव उसे मानसिक मेहनत करने की आवश्यकता है|”
5. व्यवहारकुशलता:-
व्यवहारकुशल व्यक्ति जहाँ भी जाए वह वहां के वातावरण को खुशियों से भर देता है ऐसे लोगों को समाज सम्मान की दृष्टी से देखा जाता है| ऐसे लोग नम्रता व मुस्कराहट (Smile) के साथ व्यवहार करते है एंव हमेशा मदद करने के लिए तैयार रहते है| शिष्टाचार ही सबसे उत्तम सुन्दरता है जिसके बिना व्यक्ति केवल स्वयं तक सीमित हो जाता है एंव समाज उसे “स्वार्थी” नाम का अवार्ड देता है|
“जब आपके मित्रों की संख्या बढने लगे तो यह समझ लीजिये कि आप ने व्यवहारकुशलता का जादू सीख लिया है|”
शिष्टाचारी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र भी जाए वहा उनके मित्र बन जाते है जो उसके लिए जरुरत पड़ने पर मर मिटने के लिए तैयार रहते है|
चरित्र  व्यवहारकुशलता की नींव है एंव चरित्रहीन व्यक्ति कभी भी शिष्टाचारी नहीं बन सकता| चरित्र, व्यक्ति की परछाई होती है एंव समाज में व्यक्ति को चहरे से नहीं बल्कि चरित्र से पहचाना जाता है| चरित्र का निर्माण नैतिक मूल्यों, संस्कारों, शिक्षा एंव आदतों से होता है|
व्यवहारकुशल व्यक्तियों की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है की वह हमेशा मदद के लिए तैयार रहते है|
वर्तालाप दक्षता, व्यवहारकुशलता का महत्वपूर्ण हिस्सा है| वाणी में वह शक्ति है जो वातावरण में मिठास घोल कर उसे खुशियों से भर सकती है या उसमे चिंगारी लगा कर आग भड़का सकती है|
“words can change the world” (शब्द संसार बदल सकते है|)
सोच समझ कर बोलना, कम शब्दों में ज्यादा बात कहना, व्यर्थ की बातें न करना, अच्छाई खोजना, तारीफ़ करना, दुसरे की बात को सुनना एंव महत्त्व देना, विनम्र रहना, गलतियाँ स्वीकारना इत्यादि वार्तालाप के कुछ basic नियम है|
इन पांच नियमों में इतनी शक्ति है कि ये आपकी लाइफ बदल देंगे (change your Life) और आपके सपनों को हकीकत में बदलने की शक्ति जगाएंगे| 
अंत में एक ही बात
“जरूरतमंद की मदद कीजिये क्योंकि क्या पता कल आपको किसी की मदद की जरुरत हो” आपका सहयोगी बुधगिर गोस्‍वामी, देवासर 

जीवन का महत्‍वपूर्ण सत्य

                       जीवन का सत्य



ब्लॉग्सपर हम हमेशा से ही अच्छे से अच्छे लेख लिखने की कोशिश करते है ताकि आपको यहाँ आकर ख़ुशी मिले| यूँ तो इन्टरनेट पर हजारों प्रेरणादायक कहानियां उपलब्ध है लेकिन अच्छी कहानियां केवल कुछ हिंदी ब्लॉग्स पर ही उपलब्ध है| आपको इस ब्लॉग पर केवल ऐसी ही कहानियां पढ़ने को मिलेगी जो आपकी सोच एंव जीवन को बदल सके|
इसी कड़ी में हम एक कहानी प्रकाशित कर रहे है जो हमारे जीवन को सरल एंव आसान बनाने में मदद करेगी|
                                       कहानी : जीवन का सच

Hindi Story: Truth of Life

एक बार कुछ पुराने मित्र कॉलेज छोड़ने के कई वर्षों बाद मिले और उन्होंने अपने कॉलेज के एक प्रोफ़ेसर से मिलने का सोचा|
वे अपने प्रोफ़ेसर के घर गए| प्रोफ़ेसर ने उनका स्वागत किया एंव वे सभी बातें करने लगे| प्रोफ़ेसर के सभी छात्र अपने अपने करियर में सफल थे और आर्थिक रूप से सक्षम थे| प्रोफ़ेसर ने सभी से उनकी जिंदगी एंव करियर के बारे में पूछा|
सभी ने यही कहाँ कि वे अपने अपने क्षेत्रों में अच्छा कर रहे है| लेकिन सभी ने कहाँ कि भले ही वे आज अपने अपने करियर में सफल है लेकिन उनके स्कूल एंव कॉलेज के समय की जिंदगी आज की Life से कहीं ज्यादा अच्छी थी| उस समय उनकी जिंदगी में इतना ज्यादा तनाव एंव काम कर प्रेशर नहीं था|
प्रोफ़ेसर ने सभी के लिए चाय बनाई| प्रोफ़ेसर ने कहा कि मैं चाय तो ले आया लेकिन सभी अपने अपने कप अन्दर रसोई से ले आएं| रसोई में कई तरह के अलग अलग कप रखे हुए थे| सभी रसोई में गए और रसोई में पड़े बहुत सारे कपों में से अपने लिए अच्छे से अच्छा कप लेकर आ गए|
जब सभी ने चाय पी ली तो प्रोफ़ेसर ने कहा – मैं आप लोगों को आपके जीवन की एक सच्चाई बताता हूँ| आप सभी रसोई में से सबसे महंगे और शानदार दिखने वाले कप उठाकर ले आये है| आप में से कोई भी अन्दर पड़े साधारण एंव सस्ते कप नहीं लेकर आया है|
प्रोफ़ेसर ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा – दोस्तों कप का उद्देश्य चाय को उठाना होता है और ज्यादा महंगे एंव अच्छे दिखने वाले कप, चाय को अधिक स्वादिष्ट नहीं बनाते| हमें अच्छी चाय की आवश्यकता होती है, महंगे कप की नहीं|
हमारी Life चाय की तरह होती है और नौकरी, पैसा एंव समाज में इज्जत इन कप की तरह होती है| नौकरी एंव पैसा जीवन जीने के लिए आवश्यक है लेकिन यह जीवन नहीं है|



कभी कभी हम लोग अधिक महंगे एंव अच्छे दिखने वाले कप के चक्कर में “चाय” को भूल जाते है| जिस तरह चाय का स्वादिष्ट होना कप पर नहीं बल्कि चाय की गुणवता एंव चाय बनाने के तरीके पर निर्भर करता है उसी तरह हमारे जीवन में खुशियाँ पैसों पर नहीं बल्कि हमारे संस्कारों एंव हमारे जीवन जीने के तरीके पर निर्भर करती है|  

रविवार, 24 सितंबर 2017

पल्‍लू का इतिहास एक नजर में

पल्‍लू का इतिहास एक नजर में

:: पल्लू का इतिहास ::
पल्लू राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में रावतसर तहसील का एक कस्बा है। यह जंगल देश के सिहाग जाटों का ठिकाना था। पल्‍लू का प्राचीन नाम कोट कल्लूर था, जो बाद में इस ठिकाने के जाट सरदार की लड़की पल्लू जिसका  नाम था उसी केे नाम पर पल्लू हो गया।
पल्लू के बारे में एक कथा प्रचलित है कि मूगंधड़का नामक जाट का कोट कल्लूर पर अधिकर था। उसने डरकर दिल्ली के साहब नामक शहजादे से अपनी बेटी पल्लू का विवाह कर दिया। लेकिन वह मन से नहीं चाहता था, अतः उसने अपने दामाद को भोजन में विष दे दिया जो अपने महल में जाकर मर गया। कुछ देर बाद जाटने अपने बेटे को पता लगाने के लिए भेजा कि साहब मर गया या नहीं। उसने जैसे ही महल की खिड़की में मुंह डाला, क्रुद्ध पल्लू ने उसका सिर काट लिया और उसकी लाश को महल में छुपा लिया। इस प्रकार बारी-बारी से उसने पांचो भाइयों को मार दिया, इस पर जाट ने कहा -
                                  जावै सो आवै नहीं, यो ही बड़ो हिलूर (फितूर)।
                                  के गिटगी पल्लू पापणी, के गिटगो कोट किलूर ।।

पढिये प्राचीन पल्लू का प्राचीन इतिहास

युं तो पल्‍लू कोट के इतिहास बहुत लंबा चौडा है मगर कुछ हिस्‍से जो पाठकाें के लिये संजोया है वो ही प्रस्‍तूत है। उम्‍मीद है यह हमारे पाठकों के लिये मददगार साबित होगा।
           budhgirgosvami.blogspot.com                                              Foto +Vinod Puri Goswami 
राजस्‍थान राज्‍य के हनुमानगढ़ जिले का कस्बां पल्लू ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इसकी भौगोलिक स्थिति बाड़मेर -जैसलमेर की तरह है। कस्बे में पुरा महत्व की सामग्री यत्र-तत्र बिखरी पड़ी है। पुरातत्व विभाग की अनदेखी से यह धरोहर उजड़ रही है। पर्यटन विभाग भी इस ओर से उदासीन है। गांव में मध्य युग से पूर्व चूने का एक किला था। इसका निर्माण तीन चरण में हुआ। मध्य युग में यह किला आबाद रहा। यह क्षेत्र महमूद गजनवी के आक्रमण की जद में भी रहा। गजनवी ने ईस्वी सन 1025 में यहां आक्रमण किया। इतिहास में वर्णित युद्ध कथाओं से परे इसकी जीवंतता आज तक बनी है। सैकड़ों बीघा भूमि क्षेत्र में आज भी मानव हड्डियां तथ्यों पर अमिट चादर ओढ़े हुए है। यहां पुरातत्व को संरक्षण दिया जाए तो अब भी काफी कुछ बचा है जिसे संरक्षित किया जा सकता है। रियासत काल में इटली के पुरावेता लुईजी पिरो टैसीटोरी ने यहां वर्ष 1917 में पुरातन रियासत कालीन थेडऩुमा किले की खुदाई करवाई। इसमें कई दुर्लभ कृतियां व सिक्ïके आदि मिले। ये दिल्ली में राष्ट्रपति भवन तथा बीकानेर  संग्रहालय मेें रखे हैं। स्वामी केशवानंद भी यहां से काफी पुरा सामग्री ऊंटों पर लाद कर संगरिया ले गए थे। वे आज भी संगरिया में ग्रामोत्थान संग्रहालय में है।  टैसीटोरी का देहांत होने से यहां खुदाई बीच में रह गई और इस प्रकार पुरातन सभ्यता से जुड़े अनेक रहस्य जमीन में दबे ही रह गए। इस दौरान यहां संग्रहालय बनाने के लिए पुरातत्व निदेशक ने स्वामी केशवानंद के साथ निरीक्षण किया। परन्तु धनाभाव के कारण यहां संग्रहालय नहीं बन सका। इस कारण पुरा धरोहर का संरक्षण भी नहीं किया जा सका। कस्बे में माता ब्रह्माणी, सरस्वती व महाकाली का मंदिर है। ये पुराने किले की थेहड़ पर बना है। माता की दूर-दूर तक मान्यता है। वर्ष भर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मंदिर में स्थापित मूर्तियों पर जैन सभ्यता की छाप स्पष्ट दिखाई पड़ती है। किले पर बसे घरों में मकान बनाते समय आज तक पत्थर से बनी मूर्तियां निकलती हैं। इन अनेक पत्थरों पर जैन तीर्थंकरों की प्रतिमा उत्कीर्ण होने से यहां की पुरानी सभ्यता के लोगों का जैन मतावलम्बी होना माना जाता है। हाल ही कृषि पर्यवेक्षक भंवरसिंह नाई के घर खुदाई के दौरान सुंदर मूर्ति निकली जिसकी सूचना प्रशासन को दी गई। प्रशासन की अनुमति से प्रतिमा श्रीगंगानगर मेंं जैन मंदिर की शोभा बढ़ा रही है। इससे पता चलता है कि यहां थेहड़ में अनेक अवशेष दबे हैं। वर्तमान में यहां हिन्दू रीति-रिवाज से पूजा-अर्चना होती है। अन्य स्थलों में यहां के जोहड़ (ढाब) में बोढ़ डडूका खेजड़ा भी ख्याति प्राप्त है। यह करीब 1300 सौ वर्ष पुराना माना जाता है। सिहाग गौत्र के जनकराव के पुत्र माणक के साथ उनकी पत्नी लाछा डूडण इस खेजड़े से सत्रह कदम दक्षिण में सती हुई थी। इस प्रकार यह खेजड़ा सती लाछा डूडण की याद दिलाता है। कस्बे में सादुल नामक वीर सेनापति का मंदिर, शिव मंदिर, पंच मुखी बालाजी मंदिर तथा किले की प्राचीन सुरंग भी दर्शनीय है। अतीत में किले के दक्षिण-पश्चिम हिस्से पर बावड़ी थी जो अब जमीदोंज हो गई। अतीत में पल्लू कस्बा समृद्ध तथा वैभवशाली सभ्यता का विराट स्तम्भ रहा है।
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:: माता जी  के द्वारपाल सादूलाजी का मंदिर::  

पल्लू  में  श्री  ब्रहमाणी  माताजी  के मंदिर  के पहले माता  जी के द्वारपाल  श्री  सादूला  जी  का  मंदिर  बना हुआ है ! इस मंदिर में  सादूलाजी  की एक सफेद  मारबल  की मुर्ति  लगी हुई  है !

धार्मिक  मान्यताओ  के अनुसार  श्री  सादूला जी  को  माँ  ब्रहमाणी ने  एक श्रेष्ठ  पद  दिया  है!

 श्री  सादूला  जी  को  माँ  ब्रहमाणी  से एक वरदान  मीला  है  की जो भी भक्त जन  माता  जी मंदिर  के धोक लगाने  और  दर्शन  करने  आते  है  उनको  माता  जी  दर्शन  करने से  पहले  माता  जी  के द्वारपाल  श्री  सादूला जी  के मंदिर  में धोक  लगानी  होती और परसाद  चढ़ाना     होता  है !
अगर  कोई  भी  भक्त जन  ऐसा  नहीं  करता है  तो उसकी  यात्रा  सफल  नहीं  होती है !इसके अलावा  यदि कोई  भी  यात्री  जान बूझकर  इस  नियम  को  भंग  करता  है  उसको  श्री  ब्रहमाणी  माता  जी  दण्डित भी  कर सकती  है !
माता  जी  मंदिर पुजारीयों   को भी  इस  नियम पालन  करना  होता  है!

 माता के सभी भगतजनों से निवेदन है कि माता के मंदिर दर्शन से  पहले श्री सादूला जी के मंदिर के धोक जरुर लगायें !       जय  माता दी !
                              POTO:- Budhgir Gosvami Pallu



:: मंदिर जाने का मार्ग ::
पल्लू भारत के राजस्थान राज्य में हनुमानगढ़ जिले में स्थित है। भारत के दो बड़े शहर, दिल्ली और जयपुर से सड़क मार्ग द्वारा पल्लू जा सकते हैं।
  • दिल्ली से रोहतक, मेहम, हाँसी, हिसार, भादरा, नोहर, रावतसर होते हुए पल्लू जा सकते हैं। जिसक़ी दूरी ३५४ किलोमीटर हैं। 
  • जयपुर से चौमूं, रींग़स, सीकर, फतेहपुर, रतऩग़ढ़, सरदारशहर होते हुए पल्लू जा सकते हैं। जिसक़ी दूरी ३१५ किलोमीटर हैं। 
पल्लू का निकटतम रेलवे स्टेशन नोहर है। नोहर रेलवे स्टेशन, जयपुर एवं श्री गंगानगर रेल मार्ग पर स्थित हैं। पल्लू का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर और दिल्ली है।
अगली पोस्‍ट में बतायेगें आपकों और भी महत्‍वपूर्ण जानकारी  भरी पोस्‍ट मिलती रहेगी ।
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:: मंदिर का पता ::
श्री ब्रह्माणी माता का मंदिर
(प्राचीन गढ [किला] कल्लूर के खण्डहर पर स्थित) पल्ल्लो
गांव: पल्लू
तहसील: रावतसर
जिला: हनुमानगढ़
पिन कोड: 335524
राजस्थान, भारत
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:: ठहरने का स्थान ::
पल्लू में निम्नलिखित धर्मशालायें निशुल्क उपलब्ध है।

    01. जय दुर्गे ब्रह्माणी भजन मंडली धर्मशाला 
        (भक्तों की पहली पसंद)
    02. कालावाली सेवा समिति
    03. रामा मंडी
    04. पीलीबंगा वाली
    05. पारिक हॉल
    06. नोहर वालो की धर्मशाला
    07. सादूल शहर वाली धर्मशाला
    08. कमलाटोला धर्मशाला
    09. ब्राह्मण समाज धर्मशाला
    10. जाट धर्मशाला
    11. कुम्हार धर्मशा
माज धर्मशाला
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:: आरती ::
श्री ब्रह्माणी माता के मंदिर में दो आरती होती है।
    01. श्री ब्रह्माणी माता जी की आरती
    02. श्री काली जी की आरती

श्री ब्रह्माणी माता जी की आरती

जय अम्बे गौरी, मइया जय आनन्द करनी ।
 तुमको निश-दिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री ॥


मांग सिंदूर विराजत, टीको मृग मद को ।

कमल सरीखे दाऊ नैना, चन्द्र बदन नीको ॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।

रक्त पुष्प गलमाला, कण्ठन पर साजै ॥
केहरि वाहन राजत, खड़ग खप्पर धारी ।

सुर-नर-मुनि-जन-सेवत, सबके दुखहारी ॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।

कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति ॥
शुम्भ निशुम्भ विडारे, महिषासुर - घाती ।

धूम्र विलोचन नैना, निश दिन मदमाती ॥
चण्ड मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।

मधु कैटभ दो‌ऊ मारे, सुर भय हीन करे ॥
ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी ।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
चौसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरुं ।

बाजत ताल मृदंगा, और बाजत डमरुँ ॥
तुम हो जग की माता, तुम ही हो भरता ।

भक्‍तन् की दुःख हरता, सुख-सम्पत्ति करता ॥
भुजा अष्ट अति शोभित, वर मुद्रा धारी ।

मन वांछित फल पावे, सेवत नर नारी ॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्री पल्लू कोट में विराजत, कोटि रतन ज्योति ॥

श्री अम्बे भवानी की आरती, जो को‌ई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे ॥
जय अम्बे गौरी, मइया जय आनन्द करनी ।
 तुमको निश-दिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री ॥
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काली जी की आरती


मंगल की सेवा सुन मेरी देवा, हाथ जोङ तेरे द्वार खडे
पान सुपारी धवजा नारियल, ले ज्वाला तेरी भेंट क़रें ।


सुन जग्दम्बे कर न विलम्बे, सन्तन के भंडार भरे

सन्तान  प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे 


बुद्धि विधाता तू जगमाता, मेरा कारज सिद्ध करे

 चरण कमल का लिया आसरा, शरण तुम्हारी आन परे ।
जब जब पीर पडे भक्तन पर, तब तब आए सहाय करे

सन्तन  प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥
बार बार तै सब जग मोहयो, तरुणी रुप अनूप धर

माता होकर पुत्र खिलावें, कही भार्या बन भोग करे ।

संतन सुखदायी, सदा सहाई, संत खडे जयकार करें

संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥
ब्रह्मा, विष्णु, महेश फल लिए भेंट देन सब द्वार खड़े

अटल सिंहासन बैठी माता, सिर सोने का छत्र धरे ।

वार शनिचर कुंकुमवरणी, जब लुंकुड पर हुक्म करे

संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥
खड्ग खप्पर त्रिशुल हाथ लिये, रक्तबीज कुं भस्म करे

शुम्भ–निशुम्भ क्षणहिं में मारे, महिषासुर को पकड धरे ।

आदित वारी आदि भवानी, जन अपने को कष्ट हरे

संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥
कुपित होय कर दानव मारे, चण्ड–मुण्ड सब चुर करे

जब तूम देखो दया रूप हो, पल में संकट दूर टरे ।


 सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता, जन की अर्ज कबूल करे

संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥

सात बार महिमा बरनी, सब गुण कौन बखान करे

सिंह पीठ पर चढी भवानी, अटल भुवन में राज करे ।

दर्शन पावें मंगल गावें, सिध्द तेरी भेंट धरें

संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥
ब्रह्मा वेद पढ़ तेरे द्वारे, शिवशंकर हरि ध्यान धरे

इंद्र-कृष्ण तेरी करे आरती, चंवर कुबेर डुलाय रहे ।
जय जननी जय मातुभवानी, अचल भुवन में राज करे

संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥
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प्राचीन पल्लू का प्राचीन इतिहास

                             प्राचीन पल्लू का प्राचीन इतिहास

:: पल्लू का इतिहास ::
पल्लू राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में रावतसर तहसील का एक कस्बा है। यह जंगल देश के सिहाग जाटों का ठिकाना था। पल्‍लू का प्राचीन नाम कोट कल्लूर था, जो बाद में इस ठिकाने के जाट सरदार की लड़की पल्लू जिसका  नाम था उसी केे नाम पर पल्लू हो गया।
पल्लू के बारे में एक कथा प्रचलित है कि मूगंधड़का नामक जाट का कोट कल्लूर पर अधिकर था। उसने डरकर दिल्ली के साहब नामक शहजादे से अपनी बेटी पल्लू का विवाह कर दिया। लेकिन वह मन से नहीं चाहता था, अतः उसने अपने दामाद को भोजन में विष दे दिया जो अपने महल में जाकर मर गया। कुछ देर बाद जाटने अपने बेटे को पता लगाने के लिए भेजा कि साहब मर गया या नहीं। उसने जैसे ही महल की खिड़की में मुंह डाला, क्रुद्ध पल्लू ने उसका सिर काट लिया और उसकी लाश को महल में छुपा लिया। इस प्रकार बारी-बारी से उसने पांचो भाइयों को मार दिया, इस पर जाट ने कहा -
                                  जावै सो आवै नहीं, यो ही बड़ो हिलूर (फितूर)।
                                  के गिटगी पल्लू पापणी, के गिटगो कोट किलूर ।।

पढिये प्राचीन पल्लू का प्राचीन इतिहास

युं तो पल्‍लू कोट के इतिहास बहुत लंबा चौडा है मगर कुछ हिस्‍से जो पाठकाें के लिये संजोया है वो ही प्रस्‍तूत है। उम्‍मीद है यह हमारे पाठकों के लिये मददगार साबित होगा।
           budhgirgosvami.blogspot.com                   Foto Budhgir +Vinod Puri Goswami 
राजस्‍थान राज्‍य के हनुमानगढ़ जिले का कस्बां पल्लू ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इसकी भौगोलिक स्थिति बाड़मेर -जैसलमेर की तरह है। कस्बे में पुरा महत्व की सामग्री यत्र-तत्र बिखरी पड़ी है। पुरातत्व विभाग की अनदेखी से यह धरोहर उजड़ रही है। पर्यटन विभाग भी इस ओर से उदासीन है। गांव में मध्य युग से पूर्व चूने का एक किला था। इसका निर्माण तीन चरण में हुआ। मध्य युग में यह किला आबाद रहा। यह क्षेत्र महमूद गजनवी के आक्रमण की जद में भी रहा। गजनवी ने ईस्वी सन 1025 में यहां आक्रमण किया। इतिहास में वर्णित युद्ध कथाओं से परे इसकी जीवंतता आज तक बनी है। सैकड़ों बीघा भूमि क्षेत्र में आज भी मानव हड्डियां तथ्यों पर अमिट चादर ओढ़े हुए है। यहां पुरातत्व को संरक्षण दिया जाए तो अब भी काफी कुछ बचा है जिसे संरक्षित किया जा सकता है। रियासत काल में इटली के पुरावेता लुईजी पिरो टैसीटोरी ने यहां वर्ष 1917 में पुरातन रियासत कालीन थेडऩुमा किले की खुदाई करवाई। इसमें कई दुर्लभ कृतियां व सिक्ïके आदि मिले। ये दिल्ली में राष्ट्रपति भवन तथा बीकानेर  संग्रहालय मेें रखे हैं। स्वामी केशवानंद भी यहां से काफी पुरा सामग्री ऊंटों पर लाद कर संगरिया ले गए थे। वे आज भी संगरिया में ग्रामोत्थान संग्रहालय में है।  टैसीटोरी का देहांत होने से यहां खुदाई बीच में रह गई और इस प्रकार पुरातन सभ्यता से जुड़े अनेक रहस्य जमीन में दबे ही रह गए। इस दौरान यहां संग्रहालय बनाने के लिए पुरातत्व निदेशक ने स्वामी केशवानंद के साथ निरीक्षण किया। परन्तु धनाभाव के कारण यहां संग्रहालय नहीं बन सका। इस कारण पुरा धरोहर का संरक्षण भी नहीं किया जा सका। कस्बे में माता ब्रह्माणी, सरस्वती व महाकाली का मंदिर है। ये पुराने किले की थेहड़ पर बना है। माता की दूर-दूर तक मान्यता है। वर्ष भर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मंदिर में स्थापित मूर्तियों पर जैन सभ्यता की छाप स्पष्ट दिखाई पड़ती है। किले पर बसे घरों में मकान बनाते समय आज तक पत्थर से बनी मूर्तियां निकलती हैं। इन अनेक पत्थरों पर जैन तीर्थंकरों की प्रतिमा उत्कीर्ण होने से यहां की पुरानी सभ्यता के लोगों का जैन मतावलम्बी होना माना जाता है। हाल ही कृषि पर्यवेक्षक भंवरसिंह नाई के घर खुदाई के दौरान सुंदर मूर्ति निकली जिसकी सूचना प्रशासन को दी गई। प्रशासन की अनुमति से प्रतिमा श्रीगंगानगर मेंं जैन मंदिर की शोभा बढ़ा रही है। इससे पता चलता है कि यहां थेहड़ में अनेक अवशेष दबे हैं। वर्तमान में यहां हिन्दू रीति-रिवाज से पूजा-अर्चना होती है। अन्य स्थलों में यहां के जोहड़ (ढाब) में बोढ़ डडूका खेजड़ा भी ख्याति प्राप्त है। यह करीब 1300 सौ वर्ष पुराना माना जाता है। सिहाग गौत्र के जनकराव के पुत्र माणक के साथ उनकी पत्नी लाछा डूडण इस खेजड़े से सत्रह कदम दक्षिण में सती हुई थी। इस प्रकार यह खेजड़ा सती लाछा डूडण की याद दिलाता है। कस्बे में सादुल नामक वीर सेनापति का मंदिर, शिव मंदिर, पंच मुखी बालाजी मंदिर तथा किले की प्राचीन सुरंग भी दर्शनीय है। अतीत में किले के दक्षिण-पश्चिम हिस्से पर बावड़ी थी जो अब जमीदोंज हो गई। अतीत में पल्लू कस्बा समृद्ध तथा वैभवशाली सभ्यता का विराट स्तम्भ रहा है।
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:: माता जी  के द्वारपाल सादूलाजी का मंदिर::  

पल्लू  में  श्री  ब्रहमाणी  माताजी  के मंदिर  के पहले माता  जी के द्वारपाल  श्री  सादूला  जी  का  मंदिर  बना हुआ है ! इस मंदिर में  सादूलाजी  की एक सफेद  मारबल  की मुर्ति  लगी हुई  है !

धार्मिक  मान्यताओ  के अनुसार  श्री  सादूला जी  को  माँ  ब्रहमाणी ने  एक श्रेष्ठ  पद  दिया  है!

 श्री  सादूला  जी  को  माँ  ब्रहमाणी  से एक वरदान  मीला  है  की जो भी भक्त जन  माता  जी मंदिर  के धोक लगाने  और  दर्शन  करने  आते  है  उनको  माता  जी  दर्शन  करने से  पहले  माता  जी  के द्वारपाल  श्री  सादूला जी  के मंदिर  में धोक  लगानी  होती और परसाद  चढ़ाना     होता  है !
अगर  कोई  भी  भक्त जन  ऐसा  नहीं  करता है  तो उसकी  यात्रा  सफल  नहीं  होती है !इसके अलावा  यदि कोई  भी  यात्री  जान बूझकर  इस  नियम  को  भंग  करता  है  उसको  श्री  ब्रहमाणी  माता  जी  दण्डित भी  कर सकती  है !
माता  जी  मंदिर पुजारीयों   को भी  इस  नियम पालन  करना  होता  है!

 माता के सभी भगतजनों से निवेदन है कि माता के मंदिर दर्शन से  पहले श्री सादूला जी के मंदिर के धोक जरुर लगायें !       जय  माता दी !
                              POTO:- Budhgir Gosvami Pallu


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श्री ब्रह्माणी माता मंदिर पल्लू कोट हनुमानगढ, राजस्थान


                      आस्था का संगम है माँ ब्रहमाणी पल्लूवाली का दरबार

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राजस्थान राज्य के हनुमानगढ़ जिले के रावतसर तहसील का पल्लू  कस्बा माँ ब्राह्मणी माता के मन्दिर के लिये समस्त भारत देश में प्रसिद्ध है।  वर्ष में दो बार यहाँ  नवरात्रा में विशाल मेला भरता   है। भगतों को आस्था खींच लाती माँ  ब्राह्मणी पल्लू वाली के दरबार में।  जैसे ही नवरात्रा शुरु होते है पल्लू में गूंजते है माँ ब्राह्मणी पल्लू वाली के जयकारे। प्रथम नवरात्रा के आते ही भगतों संख्या में इजाफा होता है। माँ ब्राह्मणी का मन्दिर मेगा हाइवे पर होने के कारण सालासर जाने वाले पैदल  भगत जन भी पल्लू में माता रानी के दरबार में धोक लगाकर जाते है। अरजनसर से पल्लू  आने वाले और हनुमानगढ़ से पल्लू और सालासर वाले मेगा हाइवे पर एक तरफ जय बाबे की तो दूसरी तरफ जय माता दी के नारों से गूँजता है। भगतों को ऐसा नजारा पल्लू में ही मिलता है। इसीलिये तो आस्था का संगम है माँ का दरबार। मां और बाबे के जयकारे लगाते भक्त माहौल को भक्तिमय बना देते है।  माँ ब्राह्मणी पल्लू वाली का मुख्य मेला सप्तमी और अष्टमी को भरता है। मेले में आस्था का सैलाब उमड़ता है। चारों और माता के जयकारों की गूंज सुनाई पड़ती है। देशभर से माँ ब्राह्मणी पल्लू वाली के भक्त यहाँ माँ के दर्शन को आते है।सप्तमी और अष्टमी को धोक लगाने वाले भगतों की संख्या एक अनुमान के अनुसार एक लाख से दो तीन  लाख के बीच होती है.
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संकलनकर्ता : बुधगिर गोस्‍वामी देवासर  (पल्‍लूू ) हनुमानगढ
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